रांची :
पुलिस ने बिहार-झारखंड के मोस्टवांटेड माओवादी नेता चिराग को मार गिराया है. बिहार के जमुई में शुक्रवार की देर रात पुलिस मुठभेड़ में वह मारा गया. हालांकि बताया जा रहा है कि इस माओवादी ने पुलिस से घिरता देख खुद को गोली मार ली. इस पर झारखंड पुलिस ने 25 और बिहार पुलिस ने पांच लाख रुपए का इनाम रखा था. 2012 में हुए गिरिडीह जेल ब्रेक का भी लीडर यही था.
चिराग अक्सर कहा करता था कि वो पुलिस की गोली से नहीं मरना चाहता है. अगर कभी ऐसा हुआ तो वो खुद को गोली मार लेगा.
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गिरिडीह जेल ब्रेक में शहीद हुए थे तीन पुलिसकर्मी :
9 नवंबर, 2012 को गिरिडीह में हुए जेल ब्रेक को इसी ने लीड किया था. गिरिडीह के अदिडीह में कोर्ट से पेशी के बाद जेल आ रहे शीर्ष नक्सली प्रवेश दा के कैदी वैन पर हमला कर उसे छुड़ा लिया गया था. इस हमले में तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और एक बंदी की भी मौत हो गई थी. इस दौरान आठ नक्सली समेत कुल 29 बंदी भागने में सफल रहे थे.
चिराग पर 50 से अधिक मामले विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्ज :
बिहार में इसके खिलाफ 50 से अधिक मामले विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्ज हैं. मुख्य रूप से लखीसराय के कजरा कांड, जमुई के मरियम पहाड़ी, गिद्धेश्वर कांड महुलिया टांड कांड के साथ अन्य कांडों में पुलिस को इसकी तलाश थी.
माओवादियों का जोनल कमांडर चिराग मूलतः झारखंड के बोकारो का रहने वाला था लेकिन इसकी कुशल रणनीति को देखते हुये इसे बिहार और झारखंड में जोनल कमांडर का दर्जा दिया गया था. इसका मूल नाम रामचंद्र महतो है. इसके अन्य नाम जोधन, रामचन्द्र महतो, बड़का दा, प्रमोद दा व चिराग दा शामिल थे.